सोमवार, 10 मार्च 2014

आयाराम गयाराम

चुनाव नजदीक है। नेता पाले बदल रहें है। जो कल तक कसमें खाते थे, आज पार्टी में उन्हें दोष नजर आने लगा
है। क्या कांग्रेस, क्या बीजेपी यहां तक की नई पार्टी आप में भी बगावत सड़क पर आ गई है। नेता अपनी सीट
छोड़ने को तैयार नहीं। मोदी की लहर है मगर मोदी और राजनाथ अपने लिए सुरक्षित सीट ढूंढ रहे हैं आरएसएस को हस्तक्षेप करना पड़ा रहा है। मुरलीमनोहर जोशी वाराणसी सीट छोड़ने को तैयार नही तो लालजी टंडन  साफ कर चुके हैं कि मोदी के अलावा वह सीट किसे के लिए नहीं छोड़ने वाले। वहीं महाराष्ट में बीजेपी राजठाकरे का समर्थन ले रही है जो यूपी और बिहार वालों को मुंबई से भगाते हैं। मारते हैं। बीजेपी में सबकुछ ठीक नही चल रहा है। सुषमा श्रीमालू यानी बीएसआर कांग्रेस के बीजेपी में जुड़ने से सुषमा नाराज़ है। वह राजनाथ को इसपर चिठठी लिख चुकी हैं। मुंडे को गडकरी नही भाते तो कर्नाटक में बीएस यदुरप्पा अनंत कुमार को नही  सुहाते, मुंडे मुंबई नाथ ईस्ट से पूनम महाजन के लिए टिकट चाहते हैं तो गडकरी किरिट सोमैया के लिए ताकत लगा रहे हैं। इसलिए मुंडे शिवसेना के करीबी हैं तो गडकरी राजठाकरे के दर पहुंच जाते हैं। बिहार में पासवान के साथ आने का विरोध बीजेपी के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री अश्विनी कुमार का सबने देखा। उत्तराखंड से टिकट कटने से नाराज़ बच्ची सिंह रावत ने इस्तीफा दे दिया। अभी तो शुरूआत है आगे आगे क्या होगा, देखते जाइये।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें