सोमवार, 10 मार्च 2014

कांग्रेस की किचकिच!

जगदम्बिका पाल चले गए। राहुल गांधी की हरकतों से आहत थे। मोदी गुजरात में सांसद और कई विधायक
कांग्रेस तोड़ चुके हैं। डी पुंडेश्वरी बीजेपी का हाथ थाम चुकी है। भगीरथ प्रसाद भींड से टिकट मिलने के बावजूद
कांग्रेस से नाता तोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए। यह कांग्रेस के लिए सबसे बड़ा झटका था और इससे कांग्रेस
की राज्य यूनिट भी सवालों के घेरे में है। राहुल गांधी देश का मूड भांपने निकले है मगर पार्टी के नेताओं का मूड
वह नही भांप पा रहे हैं। टीआरएस विलय तो छोड़िये, गठबंधन के लिए भी अगूंठा दिखा रही है। ऐसा पहली बार नही हो रहा है। 2009 में विदिशा से सुषमा स्वराज के खिलाफ कांग्रेस का उम्मीदवार अपना नामांकन भी दाखिल नही करा पाय। पूरे पांच साल में कांग्रेस एक अविश्वास प्रस्ताव बीजेपी के खिलाफ लाती है मगर वोटिंग से पहले ही उसे सदन के उपनेता राकेश सिंह चतुर्वेदी बीजेपी का दामन थाम लेते हैं। बाकी की कसर राजस्थान,  मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ की हार से पूरी हो जाती है। राहुल पार्टी में सिस्टम को खोलने की बात कर रहें हैं मगर उनके बनाए गए सिस्टम से बड़े नेता नाराज़ दिख रहें है। क्या राहुल युवा और अनुभव के बीच संतुलन साध पाऐंगे। जवाब जल्द ही मिल जाएगा।

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