मंगलवार, 20 सितंबर 2011

जैव विविधता को तार तार करता मानव


जैव विविधता आज अपने अस्तित्व की लडाई लड रही है। जल जंगल, जानवर, जमीन आज सब कोई परेशान है। कारण मनुष्य ने अपने ऐसो आराम के लिए उसका सुख-चैन छीन लिया है। बढती जनसंख्या के चलते मानव ने उसके जीवन में दखल दिया। आज दखल इस कदर बढ गया है कि जंगल में अपने आपको सुखी मानने वाले जानवर शहरों में आतंक मचा रहे हैं। जंगल कंक्रीट के मैदान में बदलते जा रहे हैं। जनसख्ंया विस्फोट, जंगलों का कटना, प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन जैव विविधता को नष्ट करने पर तुले हैं। भारत में 81 हजार जानवरों की और 46 हजार पौंधों की प्रजातियां हैं। इंटर गर्वमेन्टल पैनल फार क्लायमेट चेंज यानी आइपीसीसी ने भी अपनी रिपोर्ट में इस ओर इशारा किया है। रिपोर्ट के मुताबिक जलवायु में तेजी से हो रहे परिवर्तन के कारण भारत की 50 प्रतिशत जैव विविधता पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं। अगर तापमान 1.5 से 2.5 डीग्री सेंटीग्रेड तक बडा तो 25 फीसदी पौंधों की प्रजातियां विलुप्त हेा जाएंगी। पृथ्वी पर लाखों प्रजाति की जीव व वनस्पति उपलब्ध है। इनकी विशेषता और रहन सहन अलग अलग है। पर्यायवरण में रहे बदलाव क चलते इनकी कड़िया टूट रही है। आज इन्हें बचाने की जरूरत है।

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