बुधवार, 12 जून 2013

वोट सिक्यूरिटी बिल

खाद्य सुरक्षा कानून पर सरकार आज आर्डिनेंस ला सकती है। सवाल यह है कि पीडीएस में जो
चुनौतियों थी उनसे निपटने के लिए क्या कोई ठोस कदम उठाये गए। गरीबों का सही चयन, अनाज का
उत्पादन, किसानों ही आर्थिक हालात, आनज के रखरखाव की व्यवस्था, भ्रष्टाचार की गिरफत में मौजूद
हमारी वितरण प्रणाली और कानून को अमलीजामा पहनाने के लिए 1 लाख करोड़ से ज्यादा का बजट,
क्या इन सब मुददों पर ध्यान दिया गया है? या यह मान लिया जाए कि चुनाव नजदीक देख सरकार वोट सिक्यूरीटी बिल ला रही है। बाद में जब सीएजी इसका आंकलन करने बैठेगा तो कई घोटाले सामने आऐंगे और केन्द्र सरकार सारा ठीकरा यह कहते हुए कि क्रियान्वयन तो राज्य सरकार की जिम्मेदारी है हमें तो सिर्फ आवंटन करना होता है कहकर अपना पल्ला झाड़ लेगी। मायूस जनता एक बार फिर राजनीति के झलावे में आकर इस जाल में फंस जाएगी। दरअसल इस देश को इस कानून को लागू करने से पहले उन अव्यवस्थाओं
को सुधारना चाहिए था जिसकी वजह से पीडीए प्रणाली में भारी भ्रष्टाचार है। सिर्फ चुनावी माहौल बनाने
और वोट लेने का जरिया ऐसे कानून बनेंगे तो किसी को हो या न हो आम आदमी का भला नही होने वाला।
सरकार ऐसे झूठे सब्जबाग दिखाकर जनता के साथ कब तक झलावा करती रहेगी। मैं तो देश की जनता से इतना ही कहूंगा शिकारी आएगा, जाल बिझाएगा, दाना डालेगा, लोभ में फंसना मत।

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