गुरुवार, 13 जून 2013

फ्रंट का फंडा

आजकल गैर कांग्रेसी गैर बीजेपी फ्रंट का के्रज राजनीतिक दलों के सिर चढ़कर बोल रहा है। हैरान होने की बात नही। यह क्रेज अभी और बढ़ेगा और लोकसभा चुनाव आते आते ठंडा पड़ जाएगा। क्योंकि यह हर चुनाव से पहले का अध्याय है जिसका दुखद अंत होना अवश्यसंभावी है कमसे कम भारत की राजनीति का यह धु्रव सत्य है। हमारे देश में ऐसे फ्रंटों को लेकर सपने पहले भी बुने गए थे अब भी बुने जा रहे है आगे भी बुने जाते रहेंगे मगर इनका हश्र क्या होता है आप जनता जनार्दन से बेहतर और कौन जान सकता है। जरा सोचिए ममता माया और जयललिता तीनों एक फ्रंट में आऐंगी तो देश का क्या होगा। एक कदम आगे बढ़िये। लालू- नीतीश, मुलायम- माया, ममता- वामदल, जयललिता- करूणानिधि। हम सभी जानते है कि यह एक फ्रंट के तहत काम नही कर सकते। फिर हर चुनाव से पहले इस तरह की नौटंकी से जनता त्रस्त हो चुकी है। यह देश कुशासन की मार से पहले ही त्रस्त है। राजनीतिक भ्रष्टाचार राज्य से लेकर पूरे देश को जकड़े हुए है। कहीं से 
कोई आशा की किरण नही दिखाई देती। मैं कभी सोचता हूं कि जिस भारत को आज़ाद कराने के लिए लाखों लोगों ने हंसते हुए मौत को गले लगा लिया उनके सपने को नेता तिल- तिल मार रहे है। आम आदमी की सुनवाई कही नहीं है। फिर चाहे राहुल आए या मोदी या फिर कोई फ्रंट इस देश को व्यापक बदलाव की जरूरत है। मैं मानता हूं कि  वह बदलाव केवल और केवल जनता ला सकती है। बस इन पंक्तियों के साथ आप सभी मित्रों को शुभ प्रभातः। आपका दिन मंगलमय हो।
होकर निराश मत तजो आस, परिहास तो परिजन करते हैं।
कितने कोमल है ये गुलाब, जो सदा शूल में पलते हैं।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें