सोमवार, 14 फ़रवरी 2011

किसान का बजटनामा


28 फरवरी को वित्तमंत्री प्रणब मुखर्जी आम बजट पेश करेंगे। महंगाई और भ्रष्टाचार से चैतरफा घिरी सरकार के पास मौका होगा आम आदमी के जख्मों पर मरहम लगाने का। महंगाई की मार से हर कोई बेहाल है और इस बजट से खासा उम्मीद हर किसी ने पाल रखी है। बहरहाल एक नजर इसपर कि खेती और किसान को इस बजट से क्या क्या मिल सकता है। वर्ष 2010-11 में कृषि और उससे जुड़े क्षेत्रों को कुल बजट का 9.45 फीसदी और जीडीपी का 1.56 प्रतिशत आवंटन किया गया। अगर 2008 के वास्तविक खर्च और 2009 के संशोधित बजट अनुमान के मुकाबले यह बजट कम है। अगर देखा जाए तो 2005-06 से ही आयोजना बजट में गिरावट देखने को मिल रही है। 2004-05 में कृषि और उससे जुड़े क्षेत्र में हुए कुल खर्च का में राजस्व खाते में भाग 99.5 फीसदी था जो मौजूदा साल में 99.7 प्रतिशत है। बहरहाल देखते है कि सरकार इस बजट में किसान को क्या दे सकती है। इस बजट में किसान को दी जाने वाली ऋण राषि की सीमा 375000 से बड़ाकर चार लाख करोड़ या उससे ज्यादा की जा सकती है। किसानों को दिए जाने वाले कर्ज पर ब्याज को और नीचे लाया जा सकता है। बहरहाल 3 लाख तक के लोन को किसान 7 फीसदी की ब्याज पर बैंक से ले सकता है। अगर वह यह कर्ज समय से बैंक को देता है तो उसे 2 प्रतिशत की छूट मिलेगी। इस बजट में इसे 4 प्रतिश्त तक नीचे लाया जा सकता है। यानि सीधे सीधे तीन फीसदी की कमी। सवाल यह कि इससे सरकार को क्या फायदे होंगे। किसान आयोग ने किसान को 4 फीसदी पर कर्ज देने की अनुसंशा की थी। इसलिए सरकार इसे अमलीजामा पहनाकर किसान हितैषी होने का संदेष दे सकती है। हालांकि कृषि संबंधित स्थाई समिति ने सरकार को इस कर्ज की सीमा 3 से बढ़ाकर 5 लाख करने की सिफारिश की है। बजट 2010-11 में सरकार ने पहली हरित क्रांति का विस्तार पूर्वी क्षेत्रों मसलन बिहार, छत्तीसगढ़, पूर्वी उत्तरप्रदेष, पश्चिम बंगाल और ओडीसा में करने का ऐलान किया था। बकायदा इसके लिए 400 करोड़ के बजट का प्रावधान किया था। इस बार इस योजना को 1 से 3 हजार करोड़ रूपये तक मिल सकते हैं। इसके अलावा दलहन और तिलहन के उत्पादन को बड़ाने के लिए 60 हजार गांवों को चिन्हित किया गया था। इसमें मुख्यत सूखा क्षेत्र ही है। पिछले साल के 300 करोड के बजाय इस बार इस योजना को भी 1000 करोड़ रूपये का आवंटन किया जा सकता है। प्रथम हरित क्रांति से हुए फायदे को बरकरार रखने के लिए पिछले बजट में 200 करोड़ का प्रावधान किया गया था। इस मद में भी इस बार आवंटन में बढ़ोत्तरी होगी। वर्ष 2011-12 11र्वी पंचवर्षिय योजना का आखिरी साल है। लिहाजा कृषि विकास योजना, खाद्य सुरक्षा मिशन और बागवानी मिशन जैसी येाजनाओं का आंवटन बड़ने की संभावनाऐं है।

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