रविवार, 20 फ़रवरी 2011

मिशन विश्वकप


भारत के पास 1983 के बाद इतिहास रचने का यह महत्वपूर्ण मौका है। ज्यादातर जानकार भारत को इस विश्वकप का प्रबल दावेदार मान रहे हैं। खासकर तब जब टीम में दुनिया के सबसे बेहतरीन बल्लेबाज हों। साथ ही घर में खेलने का फायदा। यह सबकुछ टीम के पक्ष में जान पड़ता दिखाई देता है। मगर इसके लिए जरूरी होगा भारतीयों को एक टीम के रूप में प्रदर्शन करना। मेरे ख्याल से विराट कोहली और गंभीर पर सबसे बड़ा दारोमदार होगा। इन दो खिलाड़ियों में वह संयम है कि यह बड़ी पारी खेल सकते हैं। बाकी का काम युसूफ पठान के जिम्मे रहेगा। भारत की सबसे बड़ी चिंता तेज गेंदबाजी है। गेंदबाजों में वह धार नही दिखाई दे रही है जो विपक्षी टीमों को परेशान कर सके। हालांकि स्पिनर खासकर भज्जी से उम्मीद बंधी है। बहरहाल श्रीलंका और पाकिस्तान भारतीय स्पिनरों को खेल सकते हैं। इसलिए इन टीमों के साथा तीन सीमर लेकर उतरना ठीक होगा। मगर इंग्लैंड, आस्टेªलिया और साउथ अफ्रिका जैसी टीमों को निपटाने का क्षमता फिरकी में ही है। यह पहले साबित भी हो चुका है। भारत पहला मैच बंग्लादेश से 87 रन से जीत चुका है। मगर इस बात का ध्यान रखना होगा की 370 रनों का पीछा करता हुआ बंग्लोदश 283 तक के स्कोर तक पहुंच गया। इसके अलावा सचिन जिस अंदाज में रन आउट हुए वह गैरजरूरी था। बड़ी टीमों के खिलाफ यह गल्ती महंगी पड़ सकती है। दूसरी बात  रूबेल ने भारतीय खिलाड़ियों के अपनी शार्टपिच गेंदों से लगातार परेशान किया। खासकर सेहवाग को इस तरह की गेंद खेलने के लिए तैयार रहना पड़ेगा। उनकी 140 गेंदों में 175 रन की पारी लाजवाब थी। साथ ही विराट का शतक भारत के लिए अच्छी खबर है। भारत का क्वाटर फाइनल तक पहुंचना तय है। मगर असली परीक्षा यहीं से शरू होगी। धोनी को टास जीतकर पहले बल्लेबाजी का फैसला लेना चाहिए। देखा गया है कि हमारे खिलाड़ी रनों का पीछा करते समय दबाव में आ जाते हैं। इसलिए पहले बल्लेबाजी करने का फैसला टीम के हित में होगा। वैसे इस तरह के फैसले उस दिन के मैदानी हालात पर होगा। बहरहाल आगाज बेहतरीन रहा है। बस अंजाम भी इसी तरह का होना चाहिए।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें