मंगलवार, 15 फ़रवरी 2011

गांव का बजटनामा

भारत गांवों में बसता है। 60 फीसदी आबादी अब भी गांवों में ही रहती है। इसीलिए गांव का विकास किए बिना विकसित भारत का सपना देखना बेमानी सा लगता है। ग्रामीण भारत को बुनियादी सुविधाओं से जोड़ने के लिए यूपीए सरकार ने कुछ अहम कदम उठाये हैं। 2010-11 के बजट अनुमान के मुताबिक इस मंत्रालय को कुल 66138 करोड़ का आवंटन किया गया। ग्रामीण विकास मंत्रालय को तीन भागों में बांटा गया है।
ग्रामीण विकास विभाग
भूमि संसाधन विभाग
ग्रामीण पेयजल और स्वच्छता विभाग
बजट के लिहाज से सबसे बड़ा हिस्सा ग्रामीण विकास विभाग के हिस्से आता है। यह विभाग महात्मा गांधी नरेगा एसजीआरवाई, पीएमजीएसवाई और इंदिरा आवास योजना जैसे महत्वपूर्ण कार्यक्रमों को लागू करता है। इस साल इंदिरा आवास योजना में प्रति इकाई की कीमत प्लेन एरिया में 35000 से बड़ाकर 45000 और पर्वतीय इलाकों में 38500 से बड़ाकर 48500 करोड़ कर दिया गया है।
योजना                          अनुमानित बजट आवंटन 2010-11
महात्मा गांधी नरेगा               40100 करोड़      
पीएमजीएसवाई                    12000 करोड़
इंदिरा आवास योजना            10000 करोड़
एसजीएसवाई                         2984 करोड़
इसके अलाव पिछड़ क्षेत्र अनुदान कोष की राशि को भी पिछले साल के 5800 करोड़ के मुकाबले 7300 करोड़ कर दिया गया है।
इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि बजट का सबसे बड़ा भाग इस विभाग को जाता है। बहरहाल आने वाले बजट में इंदिरा आवास योजना और पीएमजीएसवाई के आवंटन में बढोत्तरी होने की पूरी उम्मीद है। यही दो योजनाऐं भारत निमार्ण के 6 अंगों में से दो महत्वपूर्ण अंग है। बाकी अंगों में 2012 तक हर घर तक बिजली पहुंचान, रूरल टेलीफोनी, सिंचाई और स्वच्छ जल जैसी महत्वकांक्षी योजनाऐं हैं। आज जरूरत है इसे तेजी से लागू करने की और हर स्तर पर जवाबदेही तय करने की। ग्रामीण भारत की सबसे बड़ी योजना महात्मा गंाधी नरेगा और भारत निर्माण है। महात्मा गंाधी नरेगा के तहत मांगने वाले को साल में 100 दिन का रोजगार देने का प्रावधान है। 2017 तक सरकार हर घर गरीब को छत मुहैया कराना चाहती है और 2015 तक हर गांवों को बारामासी सड़कों से जोड़ना चाहती है।



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