रविवार, 20 फ़रवरी 2011

संसदवाणी

संसद सत्र को के कामकाज का दिन समय सब कुछ तय रहता है। इसकी रूपरेखा पहले ही कार्यमंत्रणा समिति में तय कर दी जाती है। यानि किस मुददों को किस दिन और कितना समय दिया जायेगा यह पहले से ही तय होता है। इसका आधार राजनीतिक दलों द्धारा दिए गए नोटिस होते हैं। सभी संसदों के प्रातःकाल संसद में होने वाली गतिविधियों की जानकारी उपलब्ध करायी जाती है। संसद सत्र का पहले घंटे में यानि 11 से 12 बजे के बीच सांसद विभिन्न मंत्रालयों से सवाल करते हैं। इसके लिए कम से कम 20 दिन पहले मंत्रालयों को सवाल भेजे जाते है ताकि मंत्रालयों के इस सवाल के जवाब बनाने के लिए पर्याप्त समय मिल सके। इसके लिए बकायदा मंत्रालयों को दिनों में बांटा गया है। मसलन सोमवार को कृशि, उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण, संस्कृति, उत्तर-पूर्व क्षेत्र विकास, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग, गृह, आवास और शहरी गरीबी उपशमन, सूचना और प्रसारण, सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन, शहरी विकास, युवक कार्यकम और खेल मंत्रालय को जवाब देने होते हैं। ऐसे ही विभिन्न मंत्रालयों के जवाब देने के दिन निश्चित हैं। इसके बाद के समय यानि की 12 से 1 बजे सदन के पटल पर जरूरी कागजात रखे जाते हैं। इनमें विभिन्न मंत्रालयों से जुड़ी स्थाई समिति की रिपोर्ट भी शामिल होती हैं। कागजात रखने के बाद सांसद नियम 377 के तहत जनहित के मुददों पर सरकार का ध्यान खींचते हैं। इसके लिए सुबह लौटरी की जाती है। मतलब संसद के पास कई सासंदों के प्रस्ताव होते हैं। चूंकि सबके लिए समय देना मुमकिन नही होता इसलिए लौटरी का सहारा लिया जाता है। इसका फायदा ज्यादातर सांसद अपने संसदीय क्षेत्र के मुददों को उठाने के लिए करते हैं। अगर जरूरी हुआ तो इसी घंटे में ध्यानाकर्शण प्रस्ताव पर भी चर्चा होती है। 1 से दो 2 बजे का समय भोजन अवकाश के लिए तय है। मगर सदन की मंजूरी हो तो इसमें भी काम किया जा सकता है। भोजन अवकाश के बाद का समय ज्यादातर विधेयकों को कानून का रूप देने के लिए होता है। विधेयक के अलावा नियम 193 के तहत भी चर्चा करायी जा सकती है। अगर कोई जरूरी विषय का नोटिस लोकसभा अध्यक्ष को दिया जाता है तो वह उनके विवेक पर निर्भर करता है कि वह उसके लिए अनुमति देती हंै या नही। यहां यह बात का ध्यान रखा जाता है कि सरकार इस सवाल का जवाब देने के लिए कितना समय चाहती है।  शक्रवार का दिन निजि विधेयकों के लिए जाना जाता है। इस दिन सांसद जरूरी विषयों पर सदन में निजि विधेयक प्रस्तुत करतें हैं। सदन का नियमित समय 11 से 6 बजे तक है। मगर काम ज्यादा होने की स्थिति में  सदन के अनुमति के चलते इसे बड़ाया जा सकता है।

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