रविवार, 27 नवंबर 2011

क्रिकेट में फिक्सिंग


हाल ही में भारत के पूर्व खिलाड़ी विनोद कांबली ने यह कहकर खलबली मचा दी कि 1996 में भारत और श्रीलंका के बीच मैच को शक की निगाहों से देखते है। इसके पीछे उनके तर्क टौस जीतने के बाद श्रीलंका को बैटिंग के लिए आमंत्रित करना और खिलाड़ियों की खराब बल्लेबाजी है। मगर सवाल उठता है की कांबली को इसी 15 साल बाद याद क्यों आई। क्या वह सस्ती लोकप्रियता के भूखे है या अजहर से उनकी कोई पुरानी खुन्नस है। वैसे हाल ही में लंदन की एक अदालत ने स्पाॅट फिक्सिंग के मामले में पाकिस्तानी क्रिकेट खिलाड़ियों को दोषी करार दिया है। पूर्व कप्तन सलमान बट और तेज गेंदबाज मोहम्मद आसिफ को लार्डस टेस्ट मैच के दौरान स्पाट फिक्सिंग कर पैस लेने का दोषी पाया गया। तीसरे खिलाड़ी मोहम्मद आामिर पहले ही अपना गुनाह स्वीकार कर चुके हैं। क्रिकेट के इतिहास में यह पहला मौका होगा जब फिक्सिंग के दोषी खिलाड़ियों को सजा मिलेगी। क्रिकेट जगत को शर्मशार करने वाले इस प्रकरण की अभी और कई परतें खुलनी बांकी है। मसलन पााकिस्तानी  विकेट कीपर कामरान अकमल और तेज गेंदबाज रियाज आइसीसी के शक के घेरे में है। आइसीसी की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा अब पाकिस्तान टीम के 2010 के क्रिकेट मैचों की जांच शुरू करने जा रही है। वहीं आइसीसी ने इस फैसलों को लालची खिलाड़ियों के लिए एक चेतावनी बताया है। गौरतलब है कि उक्त आरोपों के चलते आइसीसी ने इन खिलाड़ियों को पांच सात और 10 साल के लिए पहले ही निलंबित कर दिया था। क्रिकेट के प्रति लोगों की सच्ची आस्था है। मगर इस तरह के प्रकरण इस खेल की चमक धमक को फीकी कर रहें है। लिहाज आइसीसी को चाहिए कि वह ऐसे मामलों की पुनर्रावृति न होने दे।

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