रविवार, 27 नवंबर 2011

मुश्किल में अर्थव्यवस्था


औद्योगिक उत्पादन में लगातार आ रही गिरावट ने सरकार की मुश्किलें बड़ा दी है। यही वजह है की बजट अुनमान में 8 फीसदी से ज्यादा की विकास दर का अनुमान अब बौना लगने लगा है। विशेषज्ञों की मानें तो मौजूदा वित्तिय वर्ष में यह 7 फीसदी से भी नीचे रह सकता है। गिरते औद्योेगिक उत्पादन के पीछ कई वजहें गिनाई जा रही है। महंगाई के बढ़ते कदम को थामने के लिए रिजर्व बैंक अपने नीतिगत दनों में मार्च 2010 से 13 बार परिवर्तन कर चुका है। अंतराष्ट्रीय हालात प्र्रतिकूल है। इसके अलावा आपूर्ति संबंधी दबाव पर्यायवरण के चलते हो रही देरी और आए दिन आए नीति नए घोटले इसके लिए जिम्मेदार है। मौजूदा वित्तीय वर्ष की पहली छमाही के आंकड़ो पर अगर नजर डाली जाए तो बिजली उत्पादन को छोड़कर खनन और विनिर्माण क्षेत्र में भारी गिरावट देखने को मिली है। अकेले सितंबर महिने में विनिर्माण क्षेत्र के खराब प्रदर्शन के चलते औद्योगिक उत्पादन की दर घटकर 1.9 फीसदी में आ गई। गौरतलब है कि विनिर्माण क्षेत्र का औद्योगिक उत्पादन संचकांक में 75 फीसदी का योगदान है। सितंबर में खनन उत्पादन में 5.6 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। जो बीते साल इसी महिने में इसमें 4.3 फीसदी की वृद्धि देखी गई थी। मशीनरी उत्पादन में 6.8 फीसदी की गिरा जबकि सितंबर 2010 में इसमें 7.2 फीसदी की वृद्धि देखने को मिली। ने को मिली है। सबसे ज्यादा निराशाजनक खबर खनन क्षेत्र से है। साथ ही विनिर्माण क्षेत्र जिसका औद्योगिक उत्पादन सूचकांक में 75 फीसदी का योगदान है उसमें भी गिरावट देखी गई है। बहराहल घरेलू और अंतराष्ट्रीय माहौल दोनों को देखकर लगता नही की हालात में जल्द बदलाव आएगा।  आइये एक नजर डालते है 2011-12 के छमाही आंकड़ों पर


                                2011                                     2010
खनन                          1                                          7.2
बिजली उत्पादन          9.4                                       3.8 
विनिर्माण                   5.4                                        8.8 
                                 सभी आंकड़े प्रतिशत में

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