रविवार, 12 मई 2013

मनमोहन बनाम सोनिया


पहली बार मनमोहन सिंह और सोनियां गांधी के बीच मतभेद खुलकर सामने आ गए हैं। पवन बंसल और अश्विनी कुमार की विदाई के बाद अबक्या हमला करने की बारी मनमोहन सिंह की है? क्या यह पूरा प्रकरण कांग्रेस के भीतर मचे घमासान की बानगी नही है। क्या कानून मंत्री के तौर पर अश्विनी कुमार कोयले घोटले पर सीबीआई की रिपोर्ट में बदलाव किसके कहने पर कर रहे थे। वह किसको बचाना चाहते थे। पवन बंसल पर सीबीआई का कारवाई की स्क्रिप्ट किसने लिखी। किसने इसे अंजाम दिया। यह बस जानते हैं की मंत्रीमंत्रडल दो भागों में बंटा हुआ है। एक टीम सोनिया की है तो दूसरी मनमोहन सिंह की। क्या आने वाले दिनों में कुछ और मंत्रियों पर इस तरह के आरोप लग सकते है। आखिरकार मंत्रियों के विशोषाधिकार को खत्म करने की मंत्रियों के समूह की सिफारिश का क्या हुआ। इतना तय है की अगर बात प्रधानमंत्री के उपर आयी तो वह फिर कांग्रेस की हवा निकालने में बिलकुल भी देरी नही करेंगे। आने वाले दिनों में कुछ और ऐसे प्रकरण सामने आए तो हैरत नही। मगर वह अरोप टीम मनमोहन पर होंगे या टीम सोनियां भर। भले ही कांग्रेस कह रही हो की दो को हटाने का फैसला प्रधानमंत्री और यूपीए अध्यक्ष का संयुक्त था। मगर सब जानते है की प्रधानमंत्री और सोनियां इस प्रकरण को लेकर खुलकर एक दूसरे के सामने आ गए। और बरसों से जो सत्ता के दो केन्द्रों की चर्चा इस देश में चल रही थी। उसपर मुहर खुद कांग्रेसी रणनीतिकारों ले लगा दी। अगर मनमहोन रिएक्ट न भी करें तो रिटायमेंट के बाद किताब जरूर निकलें। आखिर उनके दिल में छिपे राज को देश भी जानना चाहेगा।

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