मंगलवार, 28 जनवरी 2014

घोषणापत्र में किए वादे तय समय से पूरें हों!

अरविन्द केजरीवाल की सरकार को दिल्ली में 30 दिन बीत चुके हैं। आम आदती से लेकर मीडिया उनके वादों को लेकर उनसे  सवाल पूछ रहा है। उनके 18 वादों को लेकर उनकी स्थिति जानना चाहता है। उनमें भी सबसे उपर पानी, बिजली और जनलोकपाल विधेयक से जुड़ा सवाल सबसे उपर है। मगर मेरा मानना है कि एक महिने में किसी भी सरकार का आंकलन करना उसके साथ ज्यादती करना  जैसा है। हालांकि आम आदमी पार्टी ने खुद अपने मैनीफेस्टों में काम पूरा करने का समय तय कर रखा है। मसलन सरकार  बनने के 15 दिन के भीतर जनलोकपाल को पारित कराना। 3 महिने में सुराज कानून लाना और अस्थाई कर्मचारियों को एक
साल में नियमितिकरण जैसे वादे शामिल है। मगर अगर आपको याद हो तो 2009 में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के 100 दिन के एजेंडे में महंगाई  को रोकना शामिल था। 1 दिन में 20 किलोमीटर सड़क बनाऐंगे जैसे वादों की भरमार थी। मगर 100 दिन की जगह आज 1800 दिन से ज्यादा दिन बीत चुके हैं महंगाई कम होने के बजाए बढ़ती गई। हां नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में समिति जरूर बना दी। इसी तरह नरेन्द्र मोदी ने अपने चुनावी वादों में 5 साल में 50 लाख घर जिसमें 28 लाख ग्रामीण क्षेत्र में और 22 लाख शहरी क्षेत्र में बनाने का वादा किया था। जिसके लिए न ही जमीन अब तक चिन्हित की गई है और न ही कोई विशेष डिपार्टमेंट बनाया गया है। इसी तरह छत्तीसगढ़ में 42 लाख परिवारों को 1 रूपये किलो चावल देने का वादा किया गया था। राजस्थान में 24 घंटे बिजली और 15 लाख लोगों को रोजगार जैसे वादे शामिल थे। वहीं मध्यप्रदेश में 15 लाख बेघरों के लिए घर बनाने का वाद किया गया था। ऐसे में इन सरकरों से भी पूछा जाना चाहिए की 40 दिन से ज्यादा बीत जाने को है, आपने कितने वादे पूरे किए हैं। इसलिए जरूरी है की जनता से पूरे किए वादों की एक समय सीमा निर्धारित हो। ताकि हमेशा की तरह जनता अपने आप को ठगा महसूस न करें। 

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