सोमवार, 6 जनवरी 2014

आपरेशन मेनका से जुड़े सवाल

मुंबई में डांस बार धड़ल्ले से चल रहे हैं। फर्क सिर्फ इतना है की डांस बार के नाम से नही बल्कि आर्केस्ट्रा बार के नाम से चल रहे हैं। आकेस्ट्रा और डांस बार लाइसेंस अलग अलग होते हैं। मगर आकेस्टा को डांस बार में तब्दील होने में चंद पल लगते हैं। डांस बार में लगाम लगाने के लिए महाराष्ट्र सरकर ने बकायदा बोम्बई पुलिस कानून 1955 में संशोधन किया। इसके बाद मुंबई पुलिस संशोधन कानून 2005 अस्तित्व में आया। 14 अगस्त 2005 को महाराष्ट्र में डांस बार पर प्रतिबंध लगा दिया गया। इस दौरान राज्य में 1250 डांस बार थे जिसमें 600 मुंबई में और 650 बाकी राज्य में थे। लगभग 50 से 60 हजार महिलाऐं की आजीविका इस पेशे से जुड़ी थी मगर सरकार ने यह कहकर खारिज कर दिया की ज्यादातर बार बालाऐं प्रदेश से बाहर की  हैं। 50 हजार से ज्यादा कर्मचारी इन बार से जुड़े हुए थे उन्हे अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा। इसके बाद हाइकोर्ट सहित  सुप्रीम कोर्ट ने डांस बार पर रोक लगाने वाले कानून को असंवैधानिक करार दिया। मगर राज्य सरकार इस फैसले पर अड़ी हुई है। कहा जा रहा है कि जल्द ही वह एक अध्यादेश या कानून ला सकती है। सबसे ज्यादा नुकसान राज्य के के राजस्व को हुआ क्योंकि 3 हजार करोड़ से ज्यादा राजस्व सालाना इन डांस बार से आता था। लेकिन सबसे दिलचस्प सुप्रीम कोर्ट की वह टिप्पणी है जिसमें कहा गया कि न्यायिक आत्ममत इस बात की सही नही मानता कि उच्च वर्ग के लोग उच्च नैतिकता और विनम्र व्यवहार ठेकदार है जबकि
जबकि नग्नता और फूहड़ता के लिए निम्न वर्गीय जिम्मेदार है। यह टिप्पणी इसलिए अहम है क्योंकि 3 सितारा या उससे उपर के होटलों के डांस बार में रोक नही है। विधानसभा में डांस बार पर रोक लगाने के पीछे सबसे बड़ी दलील यह थी कि इससे अपराध में कमी आएगी। मगर सरकार की यह दलील भी फीकी दिखाई पड़ती है। मुंबई में बच्चों से बलात्कार के मामलों  के अलाव महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध लगातार बड़े हैं। मसलन 2010 में जहां बच्चों के खिलाफ बलात्कार के मामले 747 थे वह 2012 में 917 हो गए। महिलाओं के खिलाफ अपराध जहां 2010 में 15737 थे वह 2012 में 16353 हो गए। बच्चों के खिलाफ अपराध जहां 2010 में 3264 थे वहां 2012 में  3456 हो गए। यानि इन सालों में अपराध बड़े है। इसके अलावा पुलिस का एक बड़ा तबका सिर्फ सालों से इस काम पर  लगा रखा है कि कहीं डांस बार तो नही चल रहे। यह पूरी तरह पुलिस मशीनरी का दुरूपयोग है। महाराष्ट्र सरकार और खासकर आरआर पाटिल से कुछ सवाल
1.क्या डांस बार पर रोक असंवैधाानिक नही है?
2.क्या यह संविधान के अनुच्छेद 14 जिसमें सबको बराबरी के अधिकार की बात कही गई है उसका दुरूपयोग नही है?
3.क्या यह संविधान के अनुच्छेद 19 1 जी जिसमें अपनी आजीविका के पेशे को लेकर अधिकार दिया गया है?
4.क्या इसे गृहमंत्री आरआर पाटिल ने अपनी प्रतिष्ठा का सवाल नही बना रखा है?
5.क्या यह सुप्रीम कोर्ट की आदेश की अवहेलना नही है?
6.क्या कानून को लागू न करा पाना राज्य सरकार की निष्क्रियता नही है?
7.क्या एक बड़े पुलिस बल को इसके लिए सालों से तैनात करना पुलिसिया मशीनरी का दुरूपयोग नही है?
8.क्या सरकार ने बार बालाओं के लिए पुर्नवास की कोई योजना तैयार की थी?
9.क्या मुंबई में अपराध की दर कम हो गई है?
10.क्या सरकार को सालाना इससे 3000 करोड़ से ज्यादा का नुकसान नही हो रहा है?
11.क्या मजबूर होकर कई बार बालाओं ने वेश्यावृत्ति पेशे को नही अपनाया?
12. क्या बार बालाओं के परिवार की आजीविका के बारे में रोक से पहले सोचा गया था?
13. अगर बार में डांस करना गलत है तो तीन सीतारा और पांच सीतारा होटल में इसकी इजाज़त क्यों?
14.समलैंगिता के पैरोकार इस मुददे पर चुप क्यों?
15. क्या आरआर पाटील के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट की अवमानना को मामला चलना चाहिए?

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