गुरुवार, 9 जनवरी 2014

सडक बनाओं ग्रोथ बढ़ाओ!

यूपीए के दूसरे कार्यकाल में सड़क एवं परिवहन मंत्रालय का जिम्मा संभालने के बाद कमलनाथ ने प्रतिदिन 20 किलोमीटर सड़क बनाने का लक्ष्य रखा। यह वह समय था जब यूपीए सरकार सडकों को बनाने के धीमी प्रगति के चलते विपक्ष का निशाना बना रही थी। यही कारण था की जानकारों और खुद योजना आयोग 20 किलोमीटर सड़क बनाने के लक्ष्य को महत्वकांक्षी मान रहा था। बहरहाल जो तस्वीर समाने है उसमें 12.3 किलोमीटर प्रतिदिन सड़को का निर्माण काराया जा रहा है। राष्ट्रीय राजमार्ग विकास प्राधिकरण के मुताबिक जमीन अधिग्रहण में देरी कानूनी दावपेंच, फैसले लेने में देरी, समय से एनओसी का न मिलना, कुशल मानव संसाधन की कमी और कानून और व्यवस्था  जैसे मुददे सड़क बनाने की धीमी प्रगति का मुख्य कारण है। अक्टूबर 2009 से सितंबर 2010 तक कुल 201 परियोजनाओ का ठेका दिया गया है। इन परियोजनाओं की कुल लम्बाई 9923 किलोमीटर है। कुल मिलाकर इस समय 14704 किलोमीटर सड़क कार्य का काम प्रगति में है। सड़कों के मामले में दुनिया में सड़कों का दूसरा सबसे बड़ा नेटवर्क भारत में है। देश भर में फैली सड़कों की कुल लम्बाई 33.4 लाख किलोमीटर है।
विश्व का दूसरा सबसे बड़ा नेटवर्क
कुल लम्बाई 33.4 किलोमीटर के आसपास
राष्ट्रीय राजमार्ग          66590
राज्य राजमार्ग           128000
प्रमुख जिला सड़कें        470000
ग्रामीण व अन्य सड़कें      2650000
राष्टीªय राजमार्ग का नेटवर्क 2 प्रतिशत से कम है परन्तु यह कुल यातायात का 40 प्रतिशत भार वहन करता है। आज 65 फीसदी माल की ढुलाई और 80 फीसदी यात्री यातायात इन्ही सडको पर होता है। जहां सड़को पर यातायात 7 से 10 फीसदी सालाना आधार पर बढ़ रहा है। वही वाहनों की संख्या में तेजी 12 फीसदी के आसपास रही है। यही कारण है की अर्थव्यवस्था की गति को तेजी से बढाने के लिए सडको का तेजी से निर्माण करना जरूरी है।

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