रविवार, 12 जनवरी 2014

यह राह नही आसान!

राजनीति के बालकांड के पड़ाव से आगे बढ़ रही में चल रही आम आदमी पार्टी देश में अपनी एक अलग पहचान बना चुकी है। लोकसभा चुनाव में हाथ आजमाने के लिए तैयार है। 10 जनवरी से देश भर में सदस्यता अभियान चला दिया है। लोगों ने  भी इस पार्टी को हाथों हाथ गले लगाया है। आप से जुड़ने की बेकरारी देखी जा सकती है। एक तरफ आप का सदस्यता अभियान तो दूसरी तरफ बीजेपी का एक वोट एक नोट अभियान शुरू हो चुका है। इसमें कोई दो राय नही की आप ने मोदी के खुले मैदान को मुश्किल बना दिया है। इसलिए मोदी कह रहें है की टेलीविजन में दिखने से वोट नही मिलता, देश चलाने के लिए  विज़न चाहिए। मतबल मोदी के समझ में आ गया है की कही पीएम इन वेटिंग का मामला वेटिंग तक ही सीमट के न रह जाए। दूसरी तरफ आप की मुश्किलें भी कम नही। पार्टी ने आम आदमी की टोपी पहनकर लोगों को आकर्षित तो किया है मगर लगता नही की इतनी जल्दी इनपर विश्वास किया जाए। आप ने हाल के दिनों में कई ऐसे काम किए हैं जिससे लोगों को लगता है  कि कहीं इनका भी कांग्रेसी और बीजेपीकरण न हो जाए। मसलन
1-प्रशांत भूषण का कश्मीर पर दिया गया रायशुमारी का बयान। ऐसा ही बयान पार्टी के विधायक विनोद कुमारी बिन्नी दे चुके है।
2-मंत्री ना बनाए जाने से नाराज विनोद कुमार बिन्नी का बैठक छोड़कर बाहर निकलना।
3-राखी बिरला की कार का शीशा टूटने से जुड़ा विवाद
4-कानून मंत्री सोमनाथ भारती की जजों की बैठक बुलाने का फैसला
5-सचिवालय के बाहर जनता दरबार में हुई बदइंतजामी जैसे कई मुददों ने आप की मुश्किलें बढ़ाई है।
6-बिजली पानी के मामले में 400 यूनिट से उपर खपत करने वाला और 700 लीटर से ज्यादा इस्तेमाल करने वाला अपने आप को ठगा महसूस कर रहा हैं।
7-चार कमरे वाला फलैट लेना और बाद में मीडिया में आने के बाद उसे न लेने का फैसला करना।
8-उपराज्यपाल के अभिभाषण में सिर्फ चार मिनट का जवाब।
9-सुरक्षा न लेकर दिल्ली पुलिस को उनकी सुरक्षा में भारी भरकम खर्च करना पड़ रहा है।

इतिहास गवाह है की 1977 का माहौल भी कुछ इसी तरह था। कांग्रेस के खिलाफ जीतकर जनता पार्टी के नेता रातों रात हीरो बन गए। यहां तक की इंदिरा गांधी रायबरेली से राजनारायणके खिलाफ चुनाव हार गई। लेकिन ढाई साल में जनता पार्टी से त्रस्त आकर जनता ने दुबारा इंदिरा गांधी को सत्ता सौंप दी। इसलिए आम आदमी को अपना हर कदम सोझ समझकर उठाना होगा।

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