केजरीवाल की सरकार गिराने की हिम्मत किस राजनीति दल में है। अगर किसी ने इस काम को किया तो इसे राजनीतिक खुदखुशी कहेंगे। लोकसभा चुनाव के मददेनजर कांग्रेस तो छोड़िए बीजेपी भी सरकार गिराते नही दिखना चाहेगी। दूसरा खतरा दिल्ली में दुबार चुनाव का मतलब आम आदमी पार्टी की बड़ी जीत। यानि कांग्रेस और बीजेपी जानते है कि नतीजें चुनाव में उनके खिलाफ जाऐंगे। यानि मजबूरी में ही सही सरकार गिराने की यह राजनीति दल सोझ भी नही सकते।अरविन्द केजरीवाल को आज विधानसभा में बहुमत साबित करना है। इससे पहले वह साफ कर चुके है कि उनके पास 48 घंटे का समय है। इस बात को कहकर वह कांग्रेस और बीजेपी दोनों पर जबरदस्त मनोवैज्ञनिक दबाव डाल चुकें है। क्योंकि शपथ लेने के बाद आम आदमी पार्टी ने वह सबकुछ किया जिसके बाद उनसे समर्थन लेना का मतलब खुदखुशी करना होगा। 666 लीटर पानी प्रतिदिन मुफत देने के घोषणा हो चुकी है। जो उपभोक्ता 0 से 200 यूनिट तक उपभोग करते हैं उन्हे बिल में सब्सिडी दे दी गई है। इसी तरह की राहत 201 से 400 यूनिट का उपभोग करने वालों को दी जा रही है। बिजली कंपनियों के आडिट का आदेश दिया जा चुका है। सीएजी इन कंपनियों का आडिट करेगी। राजनीति में सादगी का उदाहरण वह पहले ही दे चुके है। एक पुलिसकर्मी के हत्या करने पर उनके परिवार को वह 1 करोड़ का मुआवजा दे चुकें हैं। 45 जगह रैनबसेरों के लिए चिन्हित कर खुले आसमान के नीचे सोने वालों के लिए इंतजाम करने के लिए वह एसडीएम को निर्देश दे चुके हैं। यानि अरविन्दकेजरीवाल देश के हीरो बन गऐं है। उनके हर काम पर मीडिया नजरें गढ़ाऐं बैठा है। ऐसे में लगता नही की कांग्रेस सरकार को गिराने की हिम्मट जूटा पाएगी। क्या हो सकता है विधानसभा में एक नजर डालते है।
अरविन्द बहुमत साबित करने से जुड़ा प्रस्ताव सदन में पेश करेंगे।
इसके बाद इस प्रस्ताव पर चर्चा होगी!
अरविन्द अपनी चर्चा में अपने एजेंडे को सामने रखेंगे।
बीजेपी और कांग्रेस के साथ साथ निर्दलीय विधायक भी इस चर्चा में भाग लेंगे।
चर्चा के दौरान ही यह पता चल जाता है कि क्या राजनीतिक दल आम आदमी पार्टी के बहुमत के प्रस्ताव का समर्थन करेंगे या विरोध।
उसके बाद जैसा कि इस मामले में 2 बजे शक्ति परीक्षण होगा। यह सबसे बड़ी चुनौति कांग्रेस के लिए होगी। अब सवाल यह कि
क्या कांग्रेस और बीजेपी व्हिप जारी करेंगे?
क्या कांग्रेस के विधायक एकजुट हैं?
कहीं क्रास वोटिंग का डर बीजेपी में भी सता तो नही रहा है?
क्या बीजेपी वोटिंग के समय सदन से वाकआउट करेंगे जिसकी की संभावना प्रबल है।
यानि हर स्थिति में केजरीवाल की सरकार बचना तय है!
अरविन्द बहुमत साबित करने से जुड़ा प्रस्ताव सदन में पेश करेंगे।
इसके बाद इस प्रस्ताव पर चर्चा होगी!
अरविन्द अपनी चर्चा में अपने एजेंडे को सामने रखेंगे।
बीजेपी और कांग्रेस के साथ साथ निर्दलीय विधायक भी इस चर्चा में भाग लेंगे।
चर्चा के दौरान ही यह पता चल जाता है कि क्या राजनीतिक दल आम आदमी पार्टी के बहुमत के प्रस्ताव का समर्थन करेंगे या विरोध।
उसके बाद जैसा कि इस मामले में 2 बजे शक्ति परीक्षण होगा। यह सबसे बड़ी चुनौति कांग्रेस के लिए होगी। अब सवाल यह कि
क्या कांग्रेस और बीजेपी व्हिप जारी करेंगे?
क्या कांग्रेस के विधायक एकजुट हैं?
कहीं क्रास वोटिंग का डर बीजेपी में भी सता तो नही रहा है?
क्या बीजेपी वोटिंग के समय सदन से वाकआउट करेंगे जिसकी की संभावना प्रबल है।
यानि हर स्थिति में केजरीवाल की सरकार बचना तय है!
कुछ तो सीखो
जवाब देंहटाएंअरे,बहुगुणा, सासन करना आज केजरीवाल से सीखो
हेमवती के नन्दन हो तुम,कुछ तो उनके जैसे दीखो
तुम को जज हम मान रहे थे,मुजरिम बनकर घूम रहे हो!
चमचो! की बैसाखी बन कर उत्तराखण्ड मे! झूम रहे हो
घोटालो! का तेरी आ!ख के नीचे ही अम्बार लगा है
झूठी तारीफो! को करने वाला तेरा आज सगा है
न्!ागे, भूखे चेले, चिमटे, अरबो! खरबो! छाप रहे है!
व्यभिचार से सीधे-सादे, उत्तराखण्ड मे!े का!प रहे है!
आधा भारत बिजली पानी उत्तराखण्ड से ही पाता है
जडी,बूटिया!,ज!गल,पानी,फिर किस दुनिया मे!जाता है
देव-भूमि मे! पर्वत कब से ,निषाचरो! को पाल रहा है
भूखे, न!गे नेताओ! का उत्तराखण्ड टकसाल रहा है
लाल बत्तिया! पाने वाले पागल हो कर घूम रहे है!
टिहरी, पौडी और कुमैये, सारे चमचे झूम रहे हे!
दैव-आपदा, आज सम्पदा, नेताओ! की बन जाती है
कफन लूटने वालो! से अब ,देव-भूमि भी षर्मती है
लाल बत्तियो! मे! आवारा सा!ड सडक को नाप रहे है!
ठाकुर - पण्डित,लोकसभा की सारी सीटे!भ!ाप रहे है!
अगडे-पिछडे़और लावारिस अपनी किस्मत को रोते है!
पढे़- लिखे सब पागल बन कर,नेता के झण्डे ढोते है!
धन,वैभव सम्पन्न राज्य अब भीख मा!ग कर ही जीता है
उत्तराखण्ड मे! षेर , बघेरा, नरभक्षी, नेता चीता है
लोकायुक्त बनाने वाला जज ,मुजरिम क्यो! हो जाता है
पर्वत को तो चाल,चरित्र और चेहरा भी खुलकर खाता है
मुख्यम!त्री, छह -छह बदले,मेरा घर फिर भी न!गा है
पानी की मारा - मारी हेै,घर-घर मे बहती ग!गा है
नदिया! मेरी, यू0 पी0 वाले,अपनी मच्छी पाल रहे है!
उत्तराखण्ड के मगरमच्छ सब,सभी समस्या टाल रहे है!
भूखे,न!गे,लन्दन मे!भी,अपना चन्दन घिस कर आये
कई करोड़ की अय्यासी के उत्तराखण्ड ने भार उठाये
वायु-यान मे!उड़ कर नेता,उत्तराखण्ड को झा!क रहे है!
न!गे-भूखे,भूखे न!गो! की किस्मत को आ!क रहे है
एक उदाहरण आज देष मे! आप पार्टी ने छोडा है
नेताओ! के अह!कार को आम आदमी ने तोडा है
राजनीति मे! सघे-गधे है!,ये सबको अनुमान होगया
आज केजरी कवि ‘आग’की भाशा मे! हनुमान होगया!!
भविश्य का आम-आदमी
जवाब देंहटाएंआम आदमी सडको! पर दल-बल के साथ उतर आया
प्रजातन्त्र की धरती पर ,क्षण - भ!गुर ,अ!कुर बौराया
राजनीति की धरती मे! भी ,माली भी आस लगाता है
आम आदमी भारत मे! , केवल धक्के ही खाता है!
टुटी षाख की कलमो! से ,पौधे भी खडे़ नही होते
अलसाये षिषू समर्थन से ,सहला कर बडे़ नही होते
भावो! और सम्भाओ! से धरती साकार नही होती
क्षणभर की जटिल परीक्षा से भी, जय जयकार नही होती
हारे थके जवानो से अब सरहद भी षर्माती है
सवि!धान के पन्नो से ,‘बू’ राजनीति की आती है
ये राश्ट्र हमेषा दल-बल की ट!कारो! से मुर्झाया है
कुण्ठा से ग्रसित गुनाहो! ने, इस प्रजातन्त्र को खाया है
अन्ना की हु!कारो! से कुछ ,हल-चल,दखल मचलती है
लोकपाल की चिन्गारी , कुछ बुझी हुयी सी जलती है
सत्ता और सियासत के पानी मे! सब कुछ बहता हेै
ये प्रजा-तन्त्र है भारत का जो मौन हुआ सब कहता है
अच्छे - अच्छे षब्दो! की भाशा से भारत भटक गया
जनमत की अभिलाशा से षमषान षवो! को सटक गया
क्यो!भारत -भाग्य-विधाता की परिभाशा हमे! सुनाते हो
हे, राजनीति के अवतारो! तुम किस दुनिया से आते हो
अभी तो दिल्ली पकडी है,अब पूरा भारत बाकी है
आम आदमी का जनमत इस प्रजातन्त्र की झा!की है
सडी - गली इन लाषो! से अब केवल बदबू आती हेै
नेता को मालूम नही ,अब भारत मा! समझाती है
ये मा!ग समय की है यारो!,ये परिवर्तन बतलाता है
आम आदमी क्षण- भर मे! सत्ता मे! कैसे आता है
राजनीति के पण्डित भी खण्डित कैसे हो जाते है!
ये वषुन्धरा है रत्नो! की ,नये बीज स्वय! उग आते है!ै
समय-समय के साथ स्वय! अनुभव भी होते जाते है
ये षब्दो! के सौदागर क्या पेट से सीख कर आते है!
क्या तकोर्!और कू-तकोर् से परिणाम निकलने वाले है!
गतिरोध की भाशा उनकी है,जो पद,मद के मतवाले है!
सुन्दर -सुन्दर षब्दो! से , ये आविश्कार नही होता
जम-घट के जुटजाने से ,जनमत विस्तार नही होता
ये राजनीति है भारत की जो व्यभिचार पनपाती है
कवि ‘आग’ की चिन्गारी षब्दो! से ‘आग’लगाती है!!
जवानी की क्रान्ती
जवाब देंहटाएंदूध के उफान से मावा निकलता जायेगा
इस धधकती कौम से लावा पिघलता जायेगा
कौन देता है हवा इस यौन के तूफान को
कुर्बान करना छोड़ दो अब राश्ट्र के सम्मान को
फूल बनने से भी पहले क्यो! कलि को तोडेते हो
भूकम्प को ज्वालामुखी की राह मे! क्यो! मोडते हो
ये फट गया तो आग की लौ से जमी! जल जायेगी
फिर ना ये पीडी जवानी को पुनः दोहरायेगी
तुम तो भटके थे ना भटकाओ जवानी देष की
कू-चक्र से भी ना मिटाओ ये जवानी देष की
आत!क के पथ पर ना लाओ ये जवानी देष की
बे- मौत मरने से बचाओ ये जवानी देष की
जोष मे! आजाद, षेखर औेर भगत अपनाइये
उगने से पहले अ!कुरो! को इस तरह ना खाइये
सत्ता, सियासत रो!दती है क्यो!सनातन की धरा
क्यो! बनाते हो जवानी से जहाॅ! को मकबरा
इस तरह यौवन वतन का अब ना लडने दीजिये
ये धरोहर राश्ट्र की है इसको पढने दीजिये
राजनीति अब युवक पर हाथ रखना छोडदे
सल्तनत भी इस तरह सजना स!वरना छोडदे
ये हवा तूफान है ,जो अब ना रूकने पायेगी
जो सड़गये ,ये उन दरख्तो! को बहा लेजायेगी
सलामती इसमे! ही है, तुम खुद ही रस्ता छोड़दो
भटकी जवानी को सियासत का नया ना मोड दो
दो साल मे! देखा,उदाहरण, दिल्ली तुमसे छुट गयी
सल्तनत की वो कडी, जर - जर बनी थी टुट गयी
अब जवानी छायेगी आजाद हिन्दुस्तान मे!
जज्बात को मै! देखता हू!, खून के उफान मे
ना - समझ उपयोग होते थे पुरानो के लिये
ये देष था गिरवी पढा, केवल घरानो! के लिये
तकनीक के इस दौर मे! गुमराह करना छोड़दो
‘आग’ कहता हेै,जवानो! जाग कर जग जोड़दो!!
राजेन्द्र प्रसाद बहुगुणा(आग)
ऋशिकेष
मो09897399815
समीक्षा की नादानी
जवाब देंहटाएंक्यो! होती है आज समीक्षा चार दिनो के षाषन मे!
ठोक रहे हो कील स्वय! ही नये-नये सि!हासन मे!
अभी-अभी तो बच्चो! ने स्कूल मे! जाना सीखा है
असम!जस मे!फ!सी सियासत केैसा अजब सलीका है
पक्ष और विपक्ष यहाॅ! पर गतिरोधक बन जाये!गे
ये विकास की भाशा मे! भी अपनी टाॅ!ग अडायेगे!
कौन समझने वाला है जब हड्डी मुॅ!ह लग जाती है
खुद को जिन्दा रखना ही तो राजनीति कहलाती है
बेमतलब की अफरा-तफरी राजनीति मे! ठीक नही है
गरम-गरम खाकर मुॅ!ह फूॅ!को,बुद्धिमानी,सीख नही है
अभी-अभी तो माल मिला है जिम्मेदारी कब जानोगे
किस बर्तन मे! क!हा छेद है उसको कैसे पहचानोगे
हेरा-फेरी की हर हरकत, बरकत खुलकर आजायेगी
तकनीकी का नया दौर है स्वय! समीक्षा हो जायेगी
ये भी जनता जान रही है तुम इनसे अनजान रहे हो
राजनीति के नये चेहरे हो दिल्ली के मेहमान रहे हो
मगरमच्छ झीलो! के हरदम , तैयारी मे! ही रहते है!
राजनीति की मजबूरी है,बाप गधे को भी कहते है!
कम से कम हो एक वर्श की समय समीक्षा षाषन मे!
ये कूटनीति है ,बिगडे़ भी आजाते है! अनुषाषन मे!
छोडो ब!गले, बत्ती, पत्ति, चैराहो! पर जमघट जोडो
जो विरोघ मे! चिल्लाते है!,उनके अह!कार को तोडो
नई मिषाले कायम करदो राजनीति के जज्बातो! मे!
ये प्रजातन्त्र है,कश्ट उठाओ सब आये!गे औखातो! मे!
इस राजनीति का यही रोना हेै,अच्छे कामो!मे!प!गा है
सबसे ज्यादा चिल्लाता है, जो सबसे ज्यादा न!गा है
और सरल बन जाओ केजरी,अब सडको पर काम करो
कवि ‘आग’ कहता है, इनके सबके रस्ते जाम करो!!
राजेन्द्र प्रसाद बहुगुणा(आग)
ऋशिकेष
मो09897399815
साधू का जादू
जवाब देंहटाएंहे अर्थषास्त्र के चाणक्य, हे चन्द्रगुप्त के योग गुरू
हे साधु - वेश मे! व्यापारी,अब राजनीति मे! हुये षूरू
हे कालेधन के मठचारी, हे स्वाभिमान के परिणेता
हे ग्रामसभा की कटि लीज,कब्जो!के करूण,कुटिल क्रेता
हे मोदी के रथ के चालक ,हे योग रोग के प्रतिपालक
हे साधु वेश के कुलघातक, हे बू!द बू!द,प्यासे चातक
हे समले!ैगिकता विश्लेशक, ना-मर्द औशधी के प्रेशक
हे वाणी - भूशण अवतारी, हे माया भोगी ब्रह्मचारी
हे कलियुग के सन्त, कन्त, हे रूप- माधुरी के महन्त
हे कपाल भारती भारत के षकुनि मामा महाभारत के
हे रामादल बजर!ग बली हे छल,बल,कपट,कठोर कलि
हे जनरल, मर्चेन्ट सेन्ट, हे सत्ता रोगी सडे़टेन्ट
हे गैस ,तेल के भण्डारन, हे भारत भव - सागर तारन
हे स्वर्ग- मोक्ष के अनुगामी, हे काया, माया के कामी
हे बालकृश्ण के बाल सखा,तुने से कैसा स्वाद चखा
हे आर्यखण्ड के चमत्कार, हे स्वप्न- दोश के अह!कार
हे बीस साल के अवतारी, हे साधू-भेश के भव-भारी
हे बिना काम के उद्योगी , हे ल!गोट छप्पन भोगी
हे षब्द-भेद के मुस्टण्डो, हे लाल किले झोले झण्डो!
हे पी0 एम0 के कर्णधार ,मोदी की डोली के कहार
हे सभी समस्या के निदान,हे द्रोणाचार्य अर्जुन महान
इस डेढ़अरब की भीडो! मे!, तू छिपा है अण्डा नीडो मे!
हे भारत के स!विधा , कर सभी समस्या का निदान
अब कवि‘आग की कलम थाम,हे रामदेव तुझको प्रणाम!!
राजेन्द्र प्रसाद बहुगुणा(आग)
ऋशिकेष
मो09897399815
प्रजातंत्र का पागल खाना
जवाब देंहटाएंहम कवियो!की कलमे घिस गयी नेता के गुण गाने मे!
मेरी प्रतिभा फ!सी पढी है भारत के पागल खाने मंे
बडे़-बडे़ पागल को जनता लोकसभा मंे डाल रही है
प्रजा त!त्र मे! जनता सदियों!से पागल को पाल रही है
मिली - जुली नूरानी कुस्ती होती सदन अखाडे़मंे
इनको तो टी0 वी0 चैनल भी मिल जाते हैं भाडे़में
कला जंग मंे जनता अपने पागल षा!षद देख रही है
अब तो सीधा प्रसारण है दुनिया आॅंखे सेक रही है
कुछ बडे़प्रतिश्ठित पागल है! ,उनको ये आभाश नही है
हल्ला-गुल्ला,तोड़-फोड म!े उनकी रूची खास नही है
सभ्य नसल के ये पागल भी भीडों से छन कर आते हैं
चि!तन-म!थन के ये पागल राज्यसभा के कहलाते हैं
प्रजातन्त्र का पागल खाना हर पागल को पाल रहा है
परिपक्वता का पागल पन पागल को स!भाल रहा है
र्निजीव जगत के पूरातत्व को पागल सदन दिखाते हैं
फिल्मी नथनी,नाच ,नचैया राज्यसभा म!े आजाते! हेैं
गुण अवगुण आधार बना कर पागल म!त्री बन जाता है
धवल वस्त्र खादी म!े लिपटा ये पागल सब कुछ खाता है
प्रजातन्त्र म!े लाखो! दल है! किस्म-किस्म के पागल के
प!जाब,सिन्ध, गुजरात,मराठा कुछ यू0 पी0 के भागल के
पागल पन का मिर्गी दौरा कुछ बाबा भी झेल रहे हैं
आन बान सम्मान दाॅंव पर स्वाभिमान से खेल रहे हैं
अलोम,विलोम की कपाल भारती अब स!सद म!े आयेगी
नये ढ!ग का पागल खाना , लोकसभा बन जायेगी
कुछ समाज सेवक स!पादक जाने कितनी नस्ले! हैं
प्रजात!त्र की धरती मे! ये देख उभरती फसले! हैं
बिना खाद - पानी के खेतों मंे खुद ही उग जाती हैं
पागल पन की राजनीति भी प्रजातन्त्र से आती है
विधान सभा और परिशद मे! खु!कार,प्रा!त पागल खाने हैं
ये पागल भी लोक सभा और राज्य सभा के दीवाने है
परेषान जनता तो हर पागल को परमोषन देती हैे
प्रजातन्त्र मंे पागल जनता ही तो नेता की खेती है
कुछ पागल तो लोकपाल से अपनी अकड़ दिखाते हैं
ये नये किस्म के पागल है जो प्रजात!त्र को भाते हैं
पुरातत्व के नौकर षाहो! को बैसाकी मिल जाती है
बरशाती मौसम मे! लरवारिस कलियाॅंभी खिल जाती हैं
सबसे छोटा नगर पालिका , प!चायत का पागल खाना
ये स!राय है गली मुहल्लो! के पागल का पता ठिकाना
स!सद के पागल खाने तक जाने का ये पाय दान है
यौवनता है जोष भरा है, हरी -भरी ये खरी खान है
व्यभिचारी और चोर, चकारी का प्रषिक्षण मिल जाता है
लोकसभा और विधानसभा का ये सबसे छोटा भ्राता है
पागल पन के धरने प्रदर्षन मे! इसका अह! रोल है
बिना ताल के जहाॅ! बजालो लोक तन्त्र का नया ढोल है
अनपढ़,भो!दू के चरणो! मंे भी ये पागल गिर जाता है
सा!सद और विधायक के घर ,बे-खो!प आता जाता है
पागल जनता पागल नेता प्रजा- तन्त्र के पैमाने मंे
हम पागल कविता पढते हैं पागल का दिल बहलाने में
आज देष के सारे पागलखाने खाली पढे़ हुये हेै!
सारे पागल राजनीति मे! आने को ही अढे़ हुये है!
लालकिले मे! हर पागल का सपना झण्डा फहराता है
राजनीति का सपना कनिमोझी, कलमाडी बन जाता है
छल, बल ,कपटी, चोर ,चकारी पागलपन ये के सपने हे!ै
गौर करोगे तो पाओगे , ये सारे पागल अपने है!
प्रजातन्त्र के पाॅ!च साल मे! हर कोई पागल बन जाता है
पागल पन के इस जन-मत से पागल सत्ता मे! आता है
राजनीति के गुण गाने म!े हम सब पागल बन जाते हैं
सत्ता और सियासी पागल हम सब की रोटी खाते हैं
अपने मत की कीमत से ये जनमत क्यों घबराया है
ये कवि ‘आग ’ है प्रजातन्त्र मंे आग लगाने आया है
राजेन्द्र प्रसाद बहुगुणा (आग)
मो0 9897399815
व!षानुक्रम
जवाब देंहटाएंव!ष बचाओ अ!ष बचाओ, राजनीति मे द!ष बचाओ
मामा षकुनि, दुर्योधन से लेकर रावण, क!स बचाओ
मोदी जैसे कई ब्रह्मचारी है! उनके र्निव!ष बचाओ
राजनीति के षब्द -कोष मे!,बिगड़गये अपभ्र!ष बचाओ
का!गे्रस लावारिस, अपना कुटुम्ब, कबीला जोड़रही है
बी.जे.पी. भी अपना वारिस, छैल, छबीला छोड़रही है
सारे नेता राजनीति के उद्योगो! को चला रहे है!
प्रजातन्त्र की घास - फूस को चिन्गारी से जला रहे है
अब का!ग्रेस मे! दरी बिछाने वाले सेवक क!हा बचे है!
बुनियादो! के पत्थर आलीषान घरो! को क!हा जचे है
राजनीति ने धूल कणो! को रो!द-रो!द कर ही कुचला है
इस का!ग्रेस मे! कलप लगाने वाला सत्ता मे! उछला है
यही हाल हैे,बी.जे.पी.और सपा.,बासपा,की भीडो!मे!
पडे़- पडे़ प्रतिभाओ! के अण्डे सडते है! क्यो! नीडो!मे!
राश्ट्र - वाद को अपनी औलादो! मे!,नेता झा!क रहे है!
गा!धी,नेहरू औेर इन्दिरा को सब राहुल मे!आ!क रहे है!
छोटे-मोटे राजनीति दल फसल, नसल की काट रहे है
ये भारत के स!विधान को षहद लगा कर चाट रहे है
प्रजातन्त्र की खाल ओढ़ कर, राजतन्त्र को पाल रहे है!
आदर्षवाद के चोर, लुटेरे, क्यो! भारत ख्!ागाल रहे है!
खत्म करो ,इस प्रजातन्त्र मे! गले - कोढ़की,परम्परा को
मत रोको जनमत सरिता की,निष्चल बहती हुयी त्वरा को
रूके हुये हिम-नद के मद की,आवाजे! दब मर जाती है!
इस राजनीति के परदूशण से ही तो महामारी आती है
ये आप पार्टी, खाप पार्टी , इसका एक उदाहरण हेै
षिक्षा, दिक्षा छोड़ चाकरी, सभी राश्ट्र पर अर्पण है
सबका भाशण, वैमनस्यता से ही तो घुल कर आता है
डेढ़ अरब की जनस!ख्या को ‘कवि’आग’ ही समझाता है!!
राजेन्द्र प्रसाद बहुगुणा(आग)
ऋशिकेष
मो09897399815