मंगलवार, 24 दिसंबर 2013

नमोः बनाम डायरेक्ट डिमोक्रेसी

केजरीवाल के मिशन 2014 ने बीजेपी के पीएम इन वेटिंग नरेन्द्र मोदी के रणनीतिकारों की नींद उड़ा दी है। केजरीवाल की डायरेक्ट डिमोक्रेसी बनाम नमो मंत्र अगर आमने सामने आता है तो डायरेक्ट डिमोक्रेसी लोगों के लिए ज्यादा आकर्षण का केन्द्र होगी। मतलब की मोदी का विजयरथ केजरीवाल थाम सकते हैं। इससे मोदी के रणनीतिकारों को अपनी रणनीति दुबारा बदलने को मजबूर होना पड़ेगा। क्योंकि जिन राज्यों में मोदी मिशन 2014 की तैयारी कर रहे हैं वहां केजरीवाल मुहल्ला सभा और जनता की सरकार जैसे जुमलों से लोगों को खिचेंगे। देश में इस समय 94 शहरी लोकसभा सीट और 122 सेमी अरबन लोकसभा सीट शामिल है। इसमें कोई दो राय नही की दिल्ली में मिले अभूतपूर्व समर्थन ने आप के प्रति लोगों का झुकाव बढ़ा दिया है। मसलन मोदी के रणनीति कार सोशल साइट के जरिये 160 लोकसभा सीटों पर नजर गढ़ाये थे। यह वह सीटें है जहां का युवा मतदाता सोशल साइट पर अपने विचार रखता है। यही मतदाता मोदी के लच्छेदार भाषण से ज्यादा केजरीवाल के डायरेक्ट डेमोक्रेसी के फार्मूले से ज्यादा नजदीक नज़र आ रहें है। वही 2009 के चुनाव में कांग्रेस को इसी शहरी मतदाता ने दिल खोल कर वोट दिया जो अब कांग्रेस की नीतियों और घोटलों से उब चुके है। ऐसे में मोदी में उनको देश चलाने की झलक दिखाई दे रही थी। मगर आम आदमी पार्टी ने राजनीति में जो प्रयोग किय उसने मौजूदा अध्याय को ही बदल दिया है।  अब केजरीवाल दिल्ली में एक एक वह बयान दे रहें है जो जनता को पसंद आते है। लाल बत्ती से परहेज, जेड सिक्यूरिटी को ना, सरकारी बंगले पर नही रहने की बात जैसे जन पसंदीदा बातें कहकर मतदाताओं पर जबरदस्त प्रभाव डाल रहें हैं। वहीं कांग्रेस चाहती है की मोदी और केजरीवाल को भिड़ाकर राहुल को मोदी के सामने सीधे खड़े होने से बचाय जाए। बीजेपी अन्ना और किरन बेदी को भी अपने से जोड़ना चाहेगी। इसका संकेल हाल फिलहाल की घटना से मिलता है। मसलन इसमें लोकसभा में सुषमा स्वराज ने लोकपाल के लिए अन्ना हजारे को पूरा श्रेय देने की बात कही। दिल्ली विधानसभा में चुनाव परिणाम आने के बाद किरन बेदी ने बीजेपी और आप के बीच सरकार बनाने को लेकर मध्यस्थ की भूमिका निभाने वाल बयान शामिल है।

1 टिप्पणी:

  1. आपका भविश्य-(यह रचना दो माह पूर्व लिख्ी गयी थी)
    भानुमति का कुडमा सडको!पर आयेगा
    अब आम आदमी खास आदमी कहलायेगा
    राजनीति मे! अह!कार तो टकराते है!
    सारे पागल आम आदमी को भाते हे!

    धीरे - धीरे बडे - बडे़ भी मु!ह खोले!गे!
    स!जय और विस्वास अभी खुलकर बोल!ेगे
    अभी षादिया चुप हैे हरकत भा!प रही है
    अपने घर की गहरायी को माप रही है

    राजनीति मे! आने का कुछ तो कारण हेै
    कवि,भाट ही आम पार्टी मे! चारण है!
    घीरे - धीरे भ्रूण गर्भ मे! पनप रहा हैे
    आम आदमी किलस रहा है ,कलप रहा है

    भूखे को रोटी मिल जाये ,क्या छोडेगा
    अक्षम था जो चलने मे!, वोे अब दौडेगा
    आम आदमी प्रजातन्त्र सडको पर लाया
    बन्दर के हाथे! मे! चाकू क्यो! पकडाया

    एक माह से उथल-पुथल मे! फ!से पडे थे
    सभी एक दिखते थे सबके अलग धडे थे
    सत्ता और स!घर्श अलग है ,अलग दिषा हे!
    राजनीति की मृगतृश्णा भी एक निषा है

    राजनीति के कोठ े पर ये सब जायज है
    चरित्र-हीन सन्ताने है ,सब नाजायज है!
    राजनीति मे! बाप बदलना आम बात है
    वर्ण-ष!करो! की दुनिया मे! क!हा जात है

    पागल फेस बुको! पर लिखते है!,गाते है!
    आप पार्टी भाग्य - विधाता बतलाते है!
    मै! लिखता था, मुझको भी गाली देते थे
    तारीफ करो झूठी तो सब ताली देते थे

    छोड़मिडिया, आषुतोश ,अब हैे भीडो! मे!
    कच्चे अण्डे फूट रहे है!, दु्रम नीडो! मे!
    कविराज तो भाट बना पागलखाने का
    अच्छा मौका हेै, अय्यासी गर्माने का

    लोकतन्त्र कितना सस्ता है ज्ञान हो गया
    आम आदमी जनमत से अनुमान हो गया
    बोट- बै!क से मेरा भारत भटक गया है
    कवि‘आग’ का छन्द हवा मे! लटक गया है!!

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