शुक्रवार, 27 दिसंबर 2013

राहुल अवतार

कांग्रेस के भीतर राहुल गांधी को मजबूत नेता दिखाने की होड़ लगी हुई है। हाल ही में पांच विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद राहुल आमूलचूल संगठन में परिवर्तन करने का मन बना चुके हैं। जानकारी के मुताबिक राज्यों में युवा चेहरों को संगठन में लाकर वह युवा सशक्तिकरण का संदेश दे रहें है। मगर देखना दिलचस्प होगा कि क्या कोई नया चेहरा संगठन में हिस्सा बन पाएगा या वंशवाद के बेल को ही वह आगे बढ़ाऐंगे। 17 जनवरी को कांग्रेस प्रधानमंत्री के तौर पर राहुल गांधी के नाम की घोषणा कर सकती है। मगर हो सकता है की राहुल अपनी मां की ही तरह इस पद से तौबा कर ले। हालांकि ऐसा होने संभावना क्षीण है मगर कांग्रेसी मौके पर छक्का मारना चाहतें हैं। हाल में जिस तरह राहुल अवतार हुआ हैउससे यह लगता है कि वह एक ऐसे नेता के तौर पर दिखना चाहतें है जो जनता की व्यथा को समझता हो। कार्यकर्ताओं की अनदेखी को समझता हो। सरकार और संगठन में 36 के आंकड़े की बारे में समझ रखता हो। इसलिए दागी नेताओं को बचाने वाले अध्यादेश को उन्होंने सार्वजनिक तौर पर कचरे के डब्बे में डाल देने को कहा। लोकपाल बिल पारित कराने को लेकर उन्होंने खुद कमान संभाली। आजकल विभिन्न समुदाय से मिलकर कांग्रेस  के मैनीफेस्टों को तैयार करने में लगे हैं। इसके अलावा आदर्श पर भी असहमति जताकर उन्होने भ्रष्टाचार के खिलाफ निर्णायक जंग का ऐलान कर दिया है। यह बात कुछ ऐसी ही लगती है
जुल्म भी वही करते है, सितम भी वही करते हैं
शिकायत करूं तो आखिर किससे करूं
हूकूमत भी वही करते हैं।
अब वह कांग्रेस शासित राज्यों में फरवरी तक लोकायुक्त लाने की बात कर रहें है। यानि बीजेपी शासित राज्यों पर नैतिक दबाव बड़ जाएगा। एक बात जो हर कोई भूल रहा है वह यह कि किसी ने आज तक यह चर्चा नही की कि जिन 18 राज्यों में लोकायुक्त काम कर रहें है उन्होने क्या काम किया। कितने भ्रष्टाचारियों को इन लोकायुक्त ने जेल भेजा। कितनों की संपति जब्त की। कितने लोकायुक्त की रिपोर्ट सालाना विधानसभा
के पटल पर रखी गई। नियमानुसार सालाना लोकायुक्त की रिपोर्ट सदन के पटल पर रखी जानी चाहिए। मगर ऐसा होता नही। मगर चुनाव में जनता की नजरों में अच्छा दिखने के लिए नेता सारे हथकंडे अपना रहें है। इसलिए कांग्रेसी हर बड़े मुददे पर राहुल अवतार कराऐंगे। आज महंगाई , भ्रष्टाचार खासकर सरकारी योजनाओं में खुली लूट मची हुई। अर्थव्यवस्था लगातार कमजोर हो रही है। युवाओं के लिए रोजगार के अवसर क्षीण है। इसलिए कुछ बुनियादी सुधार किए आप सिस्टम को नही बदल सकते। और इसकी शुरूआत राजनीति सुधार से होनी चाहिए?
इतिश्री राहुल पुराणों प्रथमों अध्याय संपन्नोंः

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