मंगलवार, 24 दिसंबर 2013

आखिर कितने दिन चलेगी आप की सरकार!

भारत में गठबंधन की राजनीति का सफर काफी पुराना है। मगर केन्द्र में सफलता से 22 दलों की गठबंधन सरकार चलाने का श्रेय अटल बिहारी वाजपेयी को जाता है। उसके बाद 2004 में कांग्रेस ने भी यह मान लिया की केन्द्र में सत्ता चलाने के लिए गठबंधन जरूरी हो गया है। चाहे फिर गठबंधन चुनावसे पहले हो या चुनाव के बाद में। यह भी तय है कि केन्द्र में सरकार गठबंधन की ही चलेगी और आने वाले समय में यह कवायद केन्द्र में जारी रहेगी। गठबंधन धर्म को लेकर अब लोग बात कर रहें हैं कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार कितने दिनों तक चलेगी। खासकर तब जब कांग्रेस का गठबंधन का धर्म निभाने का रिकार्ड बेहद खराब रहा है। उदाहरण के लिए चैधरी चरण सिंह देश में अकेले ऐस प्रधानमंत्री बने जिन्होने संसद का मुंह तक नही देखा। जुलाई 1979 से वह 1980 तक प्रधानमंत्री के तौर पर रहे जिसमें से 5 साल वह कार्यवाहक प्रधानमंत्री के तौर पर रहे। इसके बाद वीपी सरकार से बीजेपी ने समर्थन लिया तो कांग्रेस के समर्थन से चंद्रशेखर की सरकार केन्द्र में नवंबर 1999 से जून 1991 तक चली। यानि वह भी केवल 4 महिने ही प्रधानमंत्री रह पाए। इसके बाद देवगौड़ की सरकार जून 1996 से अप्रैल 1997 यानि केवल 10 महिने ही चल पाई। अप्रैल 1997 में इंद्रकुमार गुजराल को कांग्रेस ने प्रधानमंत्री बनाया मगर कांग्रेसी समर्थन में केवल यह 7 महिने प्रधानमंत्री पर पर रहे यानि मार्च 1998 में इंद्र कुमार गुजराल की भी सरकार चली गई। कांग्रसे ने यह  खेल केवल केन्द्र में ही नही राज्यों में भी खेला। कभी इसके शिकार मुलायम सिंह बने तो कभी आदिवासी नेता शिबू सोरेन। कांग्रसे ने भारतीय इतिहास में  एक नई इबारत तब लिखी जब झारखंड में इसने एक निर्दलीय मधु कौड़ा को मुख्यमंत्री बना दिया। मधुकोड़ा ने 23 महिने कांग्रेसी समर्थन के दौरान झारखंड में खूब लूट मचाई। अब आजकल वह रांची में बिरसा मुंडा जेल की शोभा बड़ा रहे हैं। इस रिकार्ड को देखकर लगता नही जो केजरीवाल कांग्रेस के कार्यकाल में हुए भ्रष्टाचार की जांच कराकर दोषियों को जेल की हवा खिलाने की बात कर रहें है उन्हें कांग्रेस ज्यादा दिन यानि 6 महिने से ज्यादा सरकार चलाने  देगी। कांग्रेस दिल्ली का चुनाव लोकसभा के साथ कराने का मन बना चुकी है। ऐसे में उसके रणनीतिकारों को यह लगता है की 6 महिने राष्टपति शासन लगाने से
ज्यादा अच्छा आप की सरकार का समर्थन कर उसको जनता के सामने बेनकाब किया जाए। मतलब यह की केजरीवाल ने जो वादे दिल्ली की जनता से किए हैं वह उसे पूरा नही कर पाऐंगे। ऐसा कांग्रेसियों का कहना है। कांग्रेस का यह खेल तय है। यानि दिल्ली की जनता को 6 महिने बाद चुनाव के लिए तैयार  रहना चाहिए। और यह बात केजरीवाल से बेहतर और कोई नही जानता।

इतिश्री कांग्रेस आप राजनीति पुराणों प्रथमों अध्याय समपन्नः

2 टिप्‍पणियां:

  1. nicely written sir ... just bit of mistakes in writting years!!
    AAP party ne hi congress ko jeevan dan diya hai to use bhugatna bhi chahiye !!

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  2. आपका भविश्य
    भानुमति का कुडमा सडको! पर आयेगा
    आम आदमी आम आदमी कहलायेगा
    राजनीति मे! अह!कार तो टकराते है!
    सारे पागल आम आदमी को भाते हे!

    धीरे - धीरे बडे - बडे़ भी मु!ह खोले!गे!
    स!जय और विस्वास अभी खुलकर बोल!ेगे
    अभी सायना चुप हैे हरकत भा!प रही है
    अपने घर की गहरायी को माप रही है

    राजनीति मे! आने का कुछ तो कारण हेै
    कवि,भाट ही आम पार्टी मे! चारण है!
    घीरे - धीरे भ्रूण गर्भ मे! पनप रहा हैे
    आम आदमी किलस रहा है,कलप रहा है

    भूखे को रोटी मिल जाये, क्या छोडेगा
    अक्षम था जो चलने मे!,वो अब दौडेगा
    आम आदमी प्रजातन्त्र सडको पर लाया
    बन्दर के हाथे! मे! चाकू क्यो! पकडाया

    एक माह से उथल-पुथल मे! फ!से पडे थे
    सभी एक दिखते थे सबके अलग धडे थे
    सत्ता और स!घर्श अलग है,अलग दिषा हे!ै
    राजनीति की मृगतृश्णा भी एक निषा है

    राजनीति के कोठेे पर ये सब जायज है
    चरित्र- हीन सन्ताने है ,सब नाजायज है!
    राजनीति मे! बाप बदलना आम बात है
    वर्ण-ष!करो! की दुनिया मे! क!हा जात है

    पागल फेस बुको! पर लिखते है!,गाते है!
    आप पार्टी भाग्य - विधाता बतलाते है!
    मै! लिखता था, मुझको भी गाली देते थे
    तारीफ करो झूठी तो सब ताली देते थे

    लोकतन्त्र कितना सस्ता है ज्ञान हो गया
    आम आदमी जनमत से अनुमान हो गया
    बोट - बै!क से मेरा भारत भटक गया है
    कवि‘आग’ का छन्द हवा मे! लटक गया है!!
    राजेन्द्र प्रसाद बहुगुणा(आग)
    ऋशिकेष
    मो09897399815

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